कान्हा टाइगर रिजर्व में एक ही दिन तीन बाघों की मौत, वन विभाग में मचा हड़कंप
दो मासूम शावकों को नर बाघ ने मार डाला, मुक्की रेंज में टेरिटोरियल फाइट में वयस्क बाघ की जान गई
2025 में अब तक 40 बाघों की मौत से वन्यजीव संरक्षण पर उठे गंभीर सवाल
गणेश पाण्डेय, भोपाल। मध्य प्रदेश के विश्वप्रसिद्ध कान्हा टाइगर रिजर्व से एक चौंकाने वाली और दुखद खबर सामने आई है। यहां एक ही दिन में तीन बाघों की मौत हो गई, जिनमें दो मासूम मादा शावक और एक वयस्क नर बाघ शामिल हैं। यह घटनाएं 2 अक्टूबर को रिजर्व खुलने के अगले ही दिन हुईं। मानसून के बाद 1 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए खोले गए इस रिजर्व में अचानक हुई इन मौतों ने वन विभाग से लेकर वन्यजीव प्रेमियों तक सभी को स्तब्ध कर दिया है।
देश-विदेश में जैव विविधता और बाघ संरक्षण के लिए प्रसिद्ध कान्हा रिजर्व में 2025 के शुरुआती नौ महीनों में बाघों की मौत का आंकड़ा अब 6–7 तक पहुंच गया है, जबकि प्रदेश भर में यह संख्या 40 के करीब पहुंच चुकी है।
कान्हा रेंज में नर बाघ ने दो शावकों को मार डाला
घटना की पहली कड़ी कान्हा जोन से सामने आई। जानकारी के अनुसार, यहां एक वयस्क नर बाघ ने लगभग 1–2 महीने उम्र की दो मादा शावकों को मौत के घाट उतार दिया। घटना के वक्त हाथी गश्ती दल ने नर बाघ को गुर्राते हुए पाया, जबकि दोनों शावक मृत अवस्था में पास ही पड़े थे। मादा बाघिन भी नजदीक थी, लेकिन वह शावकों को बचा नहीं सकी।
वन विभाग की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर NTCA (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप जांच शुरू की। शावकों का पोस्टमॉर्टम कर प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया। जांच में फॉरेंसिक और डॉग स्क्वाड की मदद ली जा रही है।
मुक्की रेंज में टेरिटोरियल फाइट में मरा वयस्क बाघ
दूसरी घटना बालाघाट जिले की मुक्की रेंज के मवाला क्षेत्र में हुई। यहां लगभग 10 वर्षीय एक वयस्क नर बाघ की मौत दो नर बाघों के बीच हुई टेरिटोरियल फाइट में हो गई। विवाद इतना तीव्र था कि एक बाघ ने दूसरे को मौत के घाट उतार दिया।

वन विभाग ने मौके पर पहुंचकर जांच की और मृत बाघ का पोस्टमॉर्टम कराया। इसके बाद प्रोटोकॉल के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया।
2025 में अब तक 40 बाघों की मौत, बालाघाट और नर्मदापुरम सबसे प्रभावित
प्रदेश में बाघों की मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2024 में 37 बाघों की मौत दर्ज की गई थी, जबकि 2025 के केवल नौ महीनों में ही करीब 40 बाघों की मौत हो चुकी है। सबसे अधिक मामले बालाघाट और नर्मदापुरम क्षेत्रों से सामने आए हैं।
इन मौतों के पीछे टेरिटोरियल फाइट, अवैध शिकार, करंट लगना, सड़क हादसे जैसी वजहें प्रमुख रूप से सामने आ रही हैं। लगातार बढ़ती घटनाओं ने प्रदेश के टाइगर रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
Source: https://indianbreakingnews.com/archives/83258
By Deepesh Mishra











