अद्भुत नजारों और रोमांच से भरा पेंच टाइगर रिजर्व, जंगल वालों की नजर से देखिए जंगल
Source: ETV Bharat Madhya Pradesh Team
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छिंदवाड़ा (महेंद्र राय): आमतौर पर लोग टाइगर रिजर्व में सफारी के दौरान बाघों को देखने जाते हैं और लौट जाते हैं, लेकिन जंगल के अंदर दूसरे जानवरों के अलावा ऐसे पेड़ पौधे और फूल भी होते हैं. जो बेहद खास होते हैं. इन्हीं को उजागर करने के लिए पेंच टाइगर रिजर्व ने एक सीरीज चलाई है. जिसमें फॉरेस्ट एरिया से जुड़े करीब 700 लोग अलग-अलग फोटो क्लिक कर लोगों को बता रहे हैं. इस सीरीज का नाम है जंगल “जंगल वालों की नजर से”.
आखिर क्यों चलाई जा रही ये सीरीज
पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ईटीवी भारत को बताया कि “पेंच टाइगर रिजर्व में करीब 800 कर्मचारी हैं. जिनमें से लगभग 700 कर्मचारी जंगल के भीतर ही हर दिन अपनी सेवाएं देते हैं. 3 से 5 वर्ग किलोमीटर में दो या तीन लोगों की जवाबदारी रहती है. हर दिन उन्हें इसी एरिया में गश्ती करना होता है. जो एक प्रकार से जेल की तरह ही होता है, उन्हें बाहरी दुनिया से कोई मतलब नहीं रहता. ऐसे में धीरे-धीरे उनकी जिंदगी में नीरसता आती है और कई बार डिप्रेशन में भी जाने लगते हैं.

उनके इस काम में परिवर्तन लाने की दृष्टि से यह सीरीज चलाई जा रही है. ताकि वे अपने काम के साथ-साथ ऐसी फोटोग्राफी भी कर सकें. जिसमें जंगली जानवर फूल, पेड़-पौधे और कई प्रकार के नजारे अपने मोबाइल या कैमरे में कैद कर लेते हैं और फिर उसमें से एक ग्रुप बनाया गया है, जो फोटो ऑफ द डे सेलेक्ट करता है. ताकि कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़े और उनके काम में भी बदलाव आ सके, क्योंकि किसी भी जंगल या टाइगर रिजर्व में सफारी के लिए एक-दो दिन या 8-10 दिन घूमना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जंगल के अंदर रहकर बाहरी दुनिया से दूर रहना एक बड़ा कठिन काम होता है.”

वाइल्डलाइफ के हर पहलू से रूबरू कर रहा है पेंच
“जंगल” जंगल वालों की नजर से यह सीरीज न सिर्फ कर्मचारियों के काम में बदलाव ला रही है, बल्कि फॉरेस्ट गार्ड से लेकर अधिकारी तक हर दिन छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े, टाइगर, पेड़-पौधे और जंगल के खूबसूरत नजारे व जंगल के नजदीकी गांव और ऐसे कई पशु पक्षियों से भी रूबरू करा रहे हैं, जो कई बार बड़े-बड़े शोधकर्ताओं से भी छूट जाते हैं. हाल ही में तितलियों को लेकर एक प्रतियोगिता हुई थी. जिसमें फॉरेस्ट गार्ड्स ने ऐसी तितलियां ढूंढ निकाली, जिसका कभी जिक्र ही नहीं होता था. कई यूनिक कीड़े मकोड़े भी पेंच नेशनल टाइगर हमारे कर्मचारी ढूंढ कर ला रहे हैं.

बेस्ट फोटो को दिया जाता है अवार्ड
पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि “इस सीरीज को शुरू करने के साथ ही हमने कई ऐसे लोगों से संपर्क किया. जिनके पास बेहतर कैमरे थे और वह काम कर सकते थे. लोगों ने जन सहयोग करके उसे दिया भी, हर महीने कुछ इवेंट भी करते हैं. कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें पुरस्कृत भी करते हैं. एक बैंक के सीएसआर फण्ड की मदद से कुछ नए कैमरे भी हमें दिए जा रहे हैं. जो हम जल्द ही फोटोग्राफी करने वाले ऐसे कर्मचारियों को देंगे, जो इस सीरीज में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.”


जंगल अपराधों में पैनी नजर आ रही कमी
पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह का कहना है “इस तरह के कार्यक्रम करने का उद्देश्य है कि एक तो हमारे कर्मचारी का मन लगा रहे. इसके साथ ही गश्ती का काम कर्मचारी लगातार करते रहें. जब ऐसी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी होती है, तो अपराधों पर भी नजर रहती है और अवैध गतिविधियां भी आसानी से पकड़ में आती है. जिससे हमारे पेंच प्रबंधन के उद्देश्य सिद्ध हो रहे हैं और अपराधों पर भी लगाम लग रहा है.”

एक एक्टिविटी से तीन काम हो रहे पूरे
जंगल के अंदर रहने वाले कर्मचारी अपने इलाके के माहिर जानकार होते हैं. इस प्रकार की एक्टिविटी करने से तीन लक्ष्य पूरे हो रहे हैं. एक तो देश दुनिया को यह बता पा रहे हैं कि टाइगर रिजर्व में सिर्फ बाघ और वन्य जीव ही नहीं बल्कि वन्य प्राणी, पशु-पक्षी और अद्भुत प्रकार के पेड़ पौधे भी हैं. दूसरा कर्मचारियों के रहन-सहन और व्यवहार में भी बदलाव आ रहा है. जिससे वे और लगन से काम कर रहे हैं. इसके साथ ही जंगल की सुरक्षा और बेहतर हो रही है. अपराधों में कमी आ रही है.

छोटे से कीड़े से लेकर विदेशी पक्षियों पूरी फौज है तैयार
सिवनी और छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला पेंच नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के प्रमुख आकर्षणों में से एक है. पेंच राष्ट्रीय उद्यान पेंच टाइगर रिजर्व का हिस्सा है. जो 1180 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जिसमें 768 वर्ग किलोमीटर का बफर जोन भी शामिल है और 411.33 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया है. यह पार्क अपने समृद्ध जीवों के लिए प्रसिद्ध है. दुर्लभ से लेकर लुप्तप्राय और असुरक्षित तक, यह पार्क कई जंगली प्रजातियों का स्थान है. यह अपने बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध है. जो पार्क में पर्यटन को काफी बढ़ावा देता है.

फिलहाल यहां 140 से ज्यादा बाघ और कई तेंदुओं के अलावा, पार्क में स्तनधारियों की 40 से ज्यादा प्रजातियां, सरीसृपों की कई प्रजातियां और उभयचरों की प्रजातियां भी हैं. पेंच नेशनल पार्क में सबसे ज्यादा पाई जाने वाली शिकार प्रजातियों में भारतीय जंगली कुत्ता, जंगली बिल्ली, जंगली सूअर, चीतल, सियार, लकड़बग्घा और भेड़िया शामिल हैं. जंगल में झुंड में हिरण, रीसस मकाक, लंगूर, गौर, सांभर लकड़बग्घा और बाइसन भी देखे जा सकते हैं.

कुल मिलाकर पेंच नेशनल पार्क में पक्षियों की 325 से ज्यादा प्रजातियां हैं. इन प्रजातियों में से लगभग 170 प्रजातियां विभिन्न प्रवासी पक्षियों से मिलकर बनी है. मोर, कौआ तीतर, लाल-पेट वाली भारतीय रोलर, वैगटेल, मैना, मुनिया नेशनल पार्क में जिन पक्षी प्रजातियों का मुख्य रूप से आना-जाना है, उनमें पीफोल, रेड जंगल फोल, कोपीजेन्ट, क्रीमसन, बेस्ट डबारबेट, रेड वेन्टेड बुलबुल, रॉकेट टेल डोगों, मेंगपाई राबिन, लेसर, व्हिस्टल टील, विनेटल सोवेला, ब्राह्मनी हक प्रमुख हैं.


देशभर में तेजी से विलुप्त होते जा रहे गिद्ध भी यहां बहुतायत में पाये जाते है. इनमें दो प्रकार के गिद्ध प्रमुख हैं. पहला ‘किंग वल्चर’ जिसके गले में लाल घेरा होता है और दूसरा है- ‘व्हाइट ब्रेंद वल्चर’ जिसके पीछे सफेद धारियां होती हैं. यहां राज तोता (करन मिट्ठू) और बाज सहित प्रदेश का सरकारी पक्षी ‘दूधराज’ भी मस्ती करते दिखाई देते हैं.
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ये पेड़ पौधे और घास पेंच नेशनल पार्क की शान
पार्क में शुष्क पर्णपाती वन हैं और पेड़ों में साजा, बिजियासाल, लेंडिया, हल्दू, धोरा, सलाई, आंवला, अमलतास, महुआ और सफेद कुलु जैसे कई तरह और प्रजातियों के साथ सागौन शामिल हैं. जमीन घास, पौधों, झाड़ियों और पौधों के से ढकी हुई है. जगह-जगह बांस भी पाए जाते हैं. पेंच नेशनल पार्क में पाई जाने वाली कई तरह की वनस्पतियां और पेड़ पौधे यहां पर रहने वाले जंगली जानवर और वन्यजीवों के निवास के लिए बेहतर वातावरण पैदा करती है. यहां से गुजरने वाली पेंच नदी के कारण इस पार्क का नाम पेंच नेशनल पार्क रखा गया है.
महेंद्र राय
सिनीयर रिपोर्टर/कंटेंट एडिटर ईटीवी भारत