मुखी: पहला जन्मां चीता शावक


लेख साभार उत्तम कुमार आई.एफ.एस.
Cheetah Re Introduction 29th March 2024 Kuno National Park



भारत में जन्मी पहली मादा शावक 29 मार्च 2024 को एक साल की हो रही है। इसकी देख भाल करने वाले फील्ड स्टाफ इसे प्यार से ‘मुखी’ कहते हैं। मुखी उम्मीद और मजबूत संकल्प का प्रतीक बन गया हैः चीता परियोजना का सफलता की उम्मीद और इसे चलाने वाले लोगों का संकल्प। मादा चीता “ज्वाला” से जन्मी, मुखी के तीन और भाई-बहन थे। लेकिन जन्म के दो महीने के भीतर, उसने अपने भाई-बहनों को खो दिया। खुद भी वह कूनो प्रबंधन के प्रयासों से मौत के कगार से वापस आई। इस पूरी प्रिक्रया में, मुखी और उसकी माँ का साथ छूट गया। यह मुखी के लिए सब से कठिन दौर था लेकनि पशुचिकत्सकों और फील्ड स्टाफ की कड़ी मेहनत एवं देख भाल के फल स्वरूप वह इस कठिन दौर से निकल पाई। मुखी को इस उम्मीद में उसकी मां के करीब रखा गया था कि एक दिन पुर्निमलन हो सकता है, लेकिन सभी प्रयास व्यर्थ रहे। हालाँकि ज्वाला कभी-कभार मुखी के पास जाती थी, लेकिन उसने कभी भी मुखी को अपने पास वापस लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। छोटे उम्र से ही मुखी को एकाक जीवन जीना पड़ा।




मुखी को मासा मिलाने का असफल प्रयास (जून 2023)
आस-पास अन्य चीतों से घिरा हुआ, मुखी का छोटा बोमा (50 मीटर 30 मीटर) उसका घर एवम खेल का मैदान था। उसके खाने से लेकर हर दूसरी जरूरत का ख्याल रखा जाता था। एक चंचल बच्चों कि तरह उसे अपने भोजन खाने को आने वाले पिक्षियों विशेष रूप से ट्री-पाई के पीछे भागना पसंद है। अनजान लोगों से शर्मिली होने के कारण, वह अपने नियिमत देखभाल करने वालों के अलावा किसी अन्य व्यक्तियों के समीप आने पर अपने बोमा में छुप जाती है। मुखी ने भारतीय परिस्थितयों को बहुत अच्छी तरह से अनुकूलित किया, जबिक अन्य वयस्क चीते भारतीय मौसम विशेष रूप् से अपने आगमन के पहले वर्ष के दौरान, मानसून के महीनों का गम और आर्द्र मोसम, की स्थित के साथ ताल मेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अन्य चीतों की गतिविधियों पर गहरी नजर रखने वाले मुखी ने बारीक से देखा कि दूसरे चीते क्या कर रहे हैं। अलग-अलग तरह कि आवाजें या पुकार, वह हर पल जंगली चीते के व्यवहार को समझती नजर आती है।
जंगल में जीवित रहना अत्यंत किठन और चुनौती पूण हैं। प्रत्येक जंगली जानवर को जीवित रहने के लिए दो आवश्यक कौशल सीखने कि जरूरत हैः खुद कि रक्षा करना और अपने भोजन के लिए शिकार करना। चीता जैसे मध्यम स्तर के शिकारी जानवर के लिए, खुद को बडे शिकारी से बचाना और भोजन के लिए शिकार करना, दोनों के लिए विशेष कौशल कि आवश्यकता होती है जो एक शावक अपनी माँ से सीखता है।
मुखी को दुर्भाग्य से इन कौशल को सीखने में अपनी माँ का सहयोग नही मिला और इसिलए यह जिम्मेदारी पूरी तरह से कूनो प्रशासन के कंधों पर आ जाती है जो उसे एक सफल जंगली चीता बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। आत्म-सुरक्ष और संरक्षण केवल स्वयं जंगल में ही कठिन तरीके से सीखा जा सकता है, लेकिन शकार कौशल को हैंडल द्वारा सूक्ष्म तरीकों से सिखाया जा सकता है शिकार के एिल विशेष कौशल सीखने कि आवश्यकता होती है और स्वाभविक प्रकृष्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि, मुखी को अपनी माँ का साथ नहीं मिल रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह आस-पास के बोमा में अन्य चीतों के द्वारा किए जा रहे शिकार के बारे में हमेशा जागरूक रहती है। वह हमेशा पास के बोमा में चीता द्वारा शिकार किये जाने को महसूस करते है एक सक्रिय (एनमेटेड) हो जाती है जैसा कि कार्रवाई में शामिल होने के लिए तैयार हो। मुखी को इस कौशल को सीखने और उसमें महारत हासिल करने का अवसर मिलेगा।
जैसे-जैसे महीने बीतते गए, मुखी और अधिक सक्रिय हो गई। वह अपने छोटे से बोमा में आने वाले हर पक्षी को भगाती है जैसे कि वह अपने क्षेत्र कि रखवाली कर रही हो। माह नबम्बर में इसी तरह कि एक दुर्भाग्रू पूर्ण घटना में उसने खुद को घायल कर लिया. तत्काल चिकत्सा एवम देखभाल तथा पशु चिकत्सको को टीम और फिल्ड स्टाफ के लगातार प्रयासों के कारण, वह अगले कुछ दिनों में अपनी चोटों से पूरी तरह से ठीक हो गई।
ऊजा से भरपूर मुखी वापस एक्शन में आ गइ है। उसे पिक्षियों का पीछा करना और पड़ोसी चीतों के करीब आने पर उन से बातचीत करना पसंद है। हालाँकि वह वतर्मान में शिकार नहीं कर रही है फिर भी वह शिकार में अत्यिधक रूचि दिखाती है। वह छुपकर पीछा करना, आक्रमण करना और पकड़ना सब कुछ अकेले ही सीख रही है।



मुखी और ज्वाला कभी-कभार एक साथ समय बिताते दिखाई देते है











29 मार्च 2023 संरक्षण क क्षेत्र में एक एताहसिक एक अंतर-महाद्वीपीय संरक्षण स्थानांतरण परियोजना, के महत्व को दशार्ता है।
मुखी के पास एक विरासत है। 75 वर्ष के बाद भारत में जन्मे पहले चीता होने कि विरासत । उसे यह पता न हो, लेकिन वह जीवन भर इस विरासत को लेकर चलेगी। भारतीय धरती पर जन्मी पहली भारतीय चीता होने के कारण उसका हर भारतीय के दिल में एक विशेष स्थान है, और उन लोगों को दिलों में तो और भी अधिक, जो पिछले एक साल में उसके करीब रहे हैं।

लेखकः वर्तमान में चीता प्रोजेक्ट कूनो राष्ट्रीय उध्यान में क्षेत्र-संचालक हैं